अजवाइन (यवानी / Carom Seeds – Trachyspermum Ammi)

अजवाइन (यवानी / Carom Seeds – Trachyspermum Ammi)

पौधे का विवरण

मानव सभ्यता के प्रारंभ से ही औषधियों में पौधों का उपयोग होता आ रहा है। इन्हीं में से एक है यवानी (अजवाइन), जो अपने औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है। यह पौधा Apiaceae कुल का सदस्य है और इसका वैज्ञानिक नाम Trachyspermum Ammi है।

अजवाइन शुष्क या अर्ध-शुष्क, खारी मिट्टी वाले क्षेत्रों में उगती है। यह एक झाड़ीदार पौधा है जिसकी तना धारियों वाला होता है और इसमें छोटी-छोटी शाखाएँ होती हैं। इसके पत्ते द्विखंडित और पतले खंडों वाले होते हैं। पौधे पर छत्राकार पुष्पक्रम (Umbel inflorescence) होता है जिसमें छोटे सफेद फूल लगते हैं। फूल द्विखंडी (bilobed) पंखुड़ियों वाले होते हैं।

इसके फल भूरे-भूरे, सुगंधित और अंडाकार (ovoid) आकार के होते हैं जिन्हें क्रेमोकार्प (Cremocarp) कहा जाता है। प्रत्येक फल में दो बीज (mericarp) पाए जाते हैं।


सामान्य जानकारी

  • अजवाइन की उत्पत्ति मिस्र (Egypt) से मानी जाती है।
  • भारत में इसे यवानी कहा गया है और आयुर्वेद में इसका प्रयोग प्राचीन काल से हो रहा है।
  • यह वात और कफ दोष को संतुलित करती है तथा पित्त को बढ़ाती है।
  • इसके सभी भाग औषधीय दृष्टि से उपयोगी हैं –
    • जड़ – मूत्रवर्धक (Diuretic)
    • बीज – भूख बढ़ाने वाले, जीवाणुरोधी, कीटनाशी, श्वसन रोगों में लाभकारी
    • फल – पेट के रोगों, बवासीर, और ऐंठन में उपयोगी

रासायनिक तत्व

अजवाइन के बीजों में पाए जाते हैं –

  • विटामिन्स: विटामिन C, विटामिन B कॉम्प्लेक्स
  • खनिज: कैल्शियम, आयरन, मैंगनीज़, कॉपर, फॉस्फोरस
  • अन्य यौगिक: थाइमोल (मुख्य घटक), लिनोलेइक एसिड, ओलिक एसिड, p-cymene, कार्वाक्रोल, α-टर्पेनीन आदि।

औषधीय गुण (Ayurvedic Properties)

हिंदी/संस्कृतअंग्रेज़ी अर्थविवरण
रस (Rasa)Tasteकड़वा (Tikta), तीखा (Katu)
गुण (Guna)Physical Propertyहल्का (Laghu), रूक्ष (Rooksha), तीक्ष्ण (Teekshna)
वीर्य (Virya)Potencyउष्ण (Hot)
विपाक (Vipaka)After Digestionतीखा (Katu)

👉 यह वात और कफ को संतुलित करती है तथा पित्त को प्रबल बनाती है।


मुख्य उपयोग

  1. पाचन तंत्र – अपच, गैस, पेट दर्द, भूख न लगना
  2. श्वसन रोग – खाँसी, दमा, जुकाम
  3. सूजन और दर्द – जोड़ों का दर्द, चोट, घाव
  4. त्वचा रोग – जीवाणुरोधी और फंगसरोधी प्रभाव
  5. हृदय और रक्त – रक्त में वसा (Cholesterol) कम करने में सहायक
  6. अन्य – बवासीर, कीड़े, कृमि और प्रजनन संबंधी समस्याएँ

औषधीय प्रयोग और खुराक

  • फल/बीज – 1 से 3 ग्राम
  • तेल – 1 से 3 बूँद
  • डिस्टिल्ड पानी (Arak Ajwain) – 5 से 10 बूँद

भारत में अजवाइन की खेती

भारत में इसकी खेती मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में होती है।


विभिन्न भाषाओं में नाम

  • संस्कृत – यवानी, दीप्यका, अजमोदिका
  • हिंदी – अजवाइन, जवैन
  • अंग्रेज़ी – Bishop’s Weed, Carom Seeds
  • तमिल – ओमम (Omam)
  • कन्नड़ – ओमा (Oma)
  • गुजराती – अजमो
  • तेलुगु – वामु (Vamu)
  • पंजाबी – जबैन, अजवैन
  • मलयालम – ओमन
  • बंगाली – यमनी
    आदि।

अजवाइन से बने आयुर्वेदिक उत्पाद

  • हकम चूर्ण (Planet Ayurveda)
  • अजवाइन तेल और अर्क

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1. क्या अजवाइन रोज़ खाना सुरक्षित है?
👉 हाँ, सीमित मात्रा (1-2 ग्राम) में इसका रोज़ाना सेवन पाचन को दुरुस्त करता है।

Q2. क्या अजवाइन वजन घटाने में मदद करती है?
👉 जी हाँ, अजवाइन का पानी या अर्क मेटाबॉलिज़्म बढ़ाकर चर्बी कम करने में सहायक होता है।

Q3. क्या गर्भवती महिलाओं को अजवाइन खानी चाहिए?
👉 डॉक्टर की सलाह से ही, क्योंकि अधिक मात्रा में इसका सेवन गर्भ पर असर डाल सकता है।

Q4. अजवाइन का पानी कब पीना चाहिए?
👉 सुबह खाली पेट या खाने के बाद, गैस और अपच से राहत के लिए।

Q5. क्या अजवाइन श्वसन रोगों में फायदेमंद है?
👉 हाँ, यह खाँसी, सर्दी-जुकाम और अस्थमा में राहत देती है।

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